कुलदीप बिश्नोई - एक परिचय
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल जी के सुपुत्र चौधरी कुलदीप बिश्नोई ने एक सफल व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान कायम करने के लिए अनेक पड़ाव पार किये है ।
चौधरी भजन लाल जी, जो वर्तमान भारतीय राजनीतिक परिद्रश्य में जानेमाने और सक्रिय राजनेता है, राजनीति में प्रवेश करने से पूर्व उनका राजनीति से दूर दूर तक का कोई नाता नहीं था । इनका जन्म पाकिस्तान राज्य के भावलपुर जिले के कोदवाली नाम के एक छोटे से गाँव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ । ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्र के विकास के कार्यों प्रति उनकी तीव्र लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें एक अत्यंत सफल राजनेता के रूप में पहचान दी । इन्हें हरियाणा की राजनीति का एक आधारभूत स्तम्भ माना जाता है, और भारतीय राजनीति में इनकी विशिष्टता सर्वमान्य है ।
कुलदीप जी एक प्रसिद्ध नेता होने के साथ ही एक पारिवारिक व्यक्ति भी हैं । सुखद वैवाहिक जीवन ,दो बेटे और एक बेटी के आशीर्वाद से युक्त होने के साथ ,ये अपने परिवार के साथ राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद भी अच्छा समय व्यतीत करते है । ये अपने परिवार एवं मित्रों को व्यक्तिगत रखना ही पसंद करते हैं । ये अपने घर पर ही अपने परिवार के साथ वक्त बिताने में और अपने बच्चों के साथ उन्हें विभिन्न प्रकार की जीवन से जुड़ी ज्ञानवर्धक एवं भावनात्मक बातें समझाने में, आनंदित महसूस करते हैं ।
एक धार्मिक व्यक्ति के रूप में ,कुलदीप जी एक इश्वर में विश्वास रखतें हैं और सभी धर्मों के धार्मिक मूल्यों के प्रति सामान रूप से आदर भाव रखते है । बिश्नोई जी सभी धर्म ,जाति के लोगों से मेलजोल रखते हैं और उनके सभी उत्सवों को आनंदपूर्वक मनाते हैं । ये धार्मिक स्थानों का भ्रमण करते हैं और सभी धार्मिक विश्वासों की एकता में विश्वास करते हैं ।
बिश्नोइयों को प्रकृति पूजक माना जाता है । बिश्नोई समाज द्वारा माने जाने वाले २९ सिद्धांतों में से एक सिद्धांत है -"जीव दया पालनी ,रुंख लीला नही घाव" । जिसका तात्पर्य है वन्य प्राणियों और वृक्षों की रक्षा करो,और एक "बिश्नोई"होने के नाते, कुलदीप जी स्वाभाविक तौर पर ही पर्यावरणीय मुद्दों की और झुकाव रखते हैं ।
यद्यपि कुलदीपजी ने राजनीति में भाग लेना काफी युवा उम्र में शुरु कर दिया था,किन्तु सक्रिय राजनैतिक यात्रा का आरम्भ वर्ष 1987 में किया । बिश्नोई जी ने अपना पहला चुनाव वर्ष १९९८ में लड़ा और एम.एल.ए नियुक्त हुए । चुनाव इतिहास में पहली बार किसी विपक्ष की पार्टी के नेता द्वारा उपचुनाव जीता गया । कुलदीपजी अपने पिता की छत्रछाया में विकसित हुए और कठिनतम उपचुनाव में विजयी हुए । राज्य विधानसभा सीट पहली बार किसी विपक्षी उम्मीदवार द्वारा जीती गयी ।
सक्रिय राजनैतिक परिवार में जन्मे कुलदीप, भिवानी (हरियाणा) से संसद सदस्य रहे और यहीं से इन्होने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता । यह एक असाधारण उपलब्धि थी क्योंकि पूरे १५ वर्ष के अन्तराल के पश्चात् कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने यह सीट जीती थी ,उस वक्त कुलदीप जी कांग्रेस में हुआ करते थे ।
कुलदीप जी ने राजनैतिक गुणों को अपने पिता से विरासत में पाया है । ये आवश्यक मुद्दों पर आधारित जनहित में कार्य करने वाली राजनीति में विश्वास , और हर प्रकार के मुद्दे पर आधुनिक एवं प्रगतिशील नजरिया रखते हैं ।
कुलदीप जी का प्रगतिशील नजरिया और पिता से प्राप्त हुई आनुवंशिक राजनैतिक क्षमताएं तथा स्वच्छ राजनीति में उनका विश्वास स्वतः ही उनके लिए अपने पिता की राजनैतिक उपलब्धियों को और भी आगे बढाने का कार्य करेगा ।

चौधरी भजन लाल जी, जो वर्तमान भारतीय राजनीतिक परिद्रश्य में जानेमाने और सक्रिय राजनेता है, राजनीति में प्रवेश करने से पूर्व उनका राजनीति से दूर दूर तक का कोई नाता नहीं था । इनका जन्म पाकिस्तान राज्य के भावलपुर जिले के कोदवाली नाम के एक छोटे से गाँव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ । ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्र के विकास के कार्यों प्रति उनकी तीव्र लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें एक अत्यंत सफल राजनेता के रूप में पहचान दी । इन्हें हरियाणा की राजनीति का एक आधारभूत स्तम्भ माना जाता है, और भारतीय राजनीति में इनकी विशिष्टता सर्वमान्य है ।
कुलदीप जी एक प्रसिद्ध नेता होने के साथ ही एक पारिवारिक व्यक्ति भी हैं । सुखद वैवाहिक जीवन ,दो बेटे और एक बेटी के आशीर्वाद से युक्त होने के साथ ,ये अपने परिवार के साथ राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद भी अच्छा समय व्यतीत करते है । ये अपने परिवार एवं मित्रों को व्यक्तिगत रखना ही पसंद करते हैं । ये अपने घर पर ही अपने परिवार के साथ वक्त बिताने में और अपने बच्चों के साथ उन्हें विभिन्न प्रकार की जीवन से जुड़ी ज्ञानवर्धक एवं भावनात्मक बातें समझाने में, आनंदित महसूस करते हैं ।
एक धार्मिक व्यक्ति के रूप में ,कुलदीप जी एक इश्वर में विश्वास रखतें हैं और सभी धर्मों के धार्मिक मूल्यों के प्रति सामान रूप से आदर भाव रखते है । बिश्नोई जी सभी धर्म ,जाति के लोगों से मेलजोल रखते हैं और उनके सभी उत्सवों को आनंदपूर्वक मनाते हैं । ये धार्मिक स्थानों का भ्रमण करते हैं और सभी धार्मिक विश्वासों की एकता में विश्वास करते हैं ।
बिश्नोइयों को प्रकृति पूजक माना जाता है । बिश्नोई समाज द्वारा माने जाने वाले २९ सिद्धांतों में से एक सिद्धांत है -"जीव दया पालनी ,रुंख लीला नही घाव" । जिसका तात्पर्य है वन्य प्राणियों और वृक्षों की रक्षा करो,और एक "बिश्नोई"होने के नाते, कुलदीप जी स्वाभाविक तौर पर ही पर्यावरणीय मुद्दों की और झुकाव रखते हैं ।
यद्यपि कुलदीपजी ने राजनीति में भाग लेना काफी युवा उम्र में शुरु कर दिया था,किन्तु सक्रिय राजनैतिक यात्रा का आरम्भ वर्ष 1987 में किया । बिश्नोई जी ने अपना पहला चुनाव वर्ष १९९८ में लड़ा और एम.एल.ए नियुक्त हुए । चुनाव इतिहास में पहली बार किसी विपक्ष की पार्टी के नेता द्वारा उपचुनाव जीता गया । कुलदीपजी अपने पिता की छत्रछाया में विकसित हुए और कठिनतम उपचुनाव में विजयी हुए । राज्य विधानसभा सीट पहली बार किसी विपक्षी उम्मीदवार द्वारा जीती गयी ।
सक्रिय राजनैतिक परिवार में जन्मे कुलदीप, भिवानी (हरियाणा) से संसद सदस्य रहे और यहीं से इन्होने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता । यह एक असाधारण उपलब्धि थी क्योंकि पूरे १५ वर्ष के अन्तराल के पश्चात् कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने यह सीट जीती थी ,उस वक्त कुलदीप जी कांग्रेस में हुआ करते थे ।
कुलदीप जी ने राजनैतिक गुणों को अपने पिता से विरासत में पाया है । ये आवश्यक मुद्दों पर आधारित जनहित में कार्य करने वाली राजनीति में विश्वास , और हर प्रकार के मुद्दे पर आधुनिक एवं प्रगतिशील नजरिया रखते हैं ।
कुलदीप जी का प्रगतिशील नजरिया और पिता से प्राप्त हुई आनुवंशिक राजनैतिक क्षमताएं तथा स्वच्छ राजनीति में उनका विश्वास स्वतः ही उनके लिए अपने पिता की राजनैतिक उपलब्धियों को और भी आगे बढाने का कार्य करेगा ।
No comments:
Post a Comment